RANTHAMBOR FORT

रणथम्बोर किले की जानकारी -

Information of Ranthambor fort -

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रणथम्बोर का किला राजस्थान राज्य के सवाईमाधोपुर जिले से लगभग 9 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत मालाओं से घिरा हुआ है रणथम्बोर किला अजेय किले के नाम से भी जाना जाता है  यह किला राजस्थान का दूसरा सब से बड़ा किला है 
जिस में चौहान वंश के शासक राजा हम्मीर देव का साशन था राजा हम्मीर के नाम से ही यहाँ किला प्रिसिद्ध हुआ इस का निर्माण पांचवी  सताब्दी में अजमेर के चौहान शासको द्वारा करवाया गया था यह किला सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है इस किले को बख्तर बंद किले के नाम से भी जाना जाता है किले के चारो और गहरी खाई और नाले जिन का पानी चम्बल नदी में जा कर मिलता है गहरी खाई और पहाड़ियों के बिच में होने के कारणवश यह किला दूर से नजर भी नहीं आता है रणथम्बोर किला पहाड़ की ऊँची छोटी पर बना हुआ है किले तक पहुंचने के लिए गहरी घाटियों से गुजरना पड़ता है किले में कुल सात द्वार है जिन में आगे की और से प्रवेश करने के लिए चार द्वार से गुजरना होता है  रणथम्बोर किला राजा हमीर देव की शौर्य गाथा का प्रतीक है 

किले में त्रिनेत्र गणेश मंदिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है मंदिर में गणेश चतुर्थी को प्रतिवर्ष भव्य मेला लगता है देश के कोने - कोने से श्रद्धालु फसल, और विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रमो, के लिए प्रथम पूज्य गणेश जी को प्रथम आमंतरण देना आते है यहाँ मंदिर में गणेश जी के मात्र मुख की पूजा की जाती है ऐसी मुखाकृति अन्य किसी मंदिर में देखने को नहीं मिलती है  

रणथम्बोर किले में कुल सात प्रवेश द्वार ( Entry Gate ) है जिन में से चार द्वार आगे की और है और शेष तीन द्वार पीछे की और है राजस्थान में द्वार को पोल भी कहा जाता है

किले में पांच तालाब है 

राजा हमीर देव अपनी आन बान और शान के लिए चर्चा में रहे का सम्बन्ध चौहान परिवार से है यह किला रणथम्बोर राष्ट्रीय अभ्यारण में स्थित है रणथम्बोर यह किला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूचि में शामिल किया  गया है 



रणथम्बोर किले का इतिहास -
History Of Ranthambor Fort -

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जब हम्मीर यहाँ के शाशक थे तब यहाँ सुल्तान जलालुदीन खिलजी ने आक्रमण किया पर वो रणथम्बोर को नहीं जित पाया  कुछ समय बाद अलाउदीनन खिलजी ने रणथम्बोर पर आक्रमण किया और कई वर्षो तक परेश किया पर वह रणथम्बोर को नहीं जित पाया और वापस दिल्ली चला गया और जलालुदीन खिलजी की हत्या कर कर के गद्दी पर भेटे गया जलालुदीन खिलजी का एक मंत्री था मोहमद शा उस का जलालुदीन की बेगम  से अनैतिक सम्बन्ध था इसलिए शा को अलाउदीन खिलजी ने दिल्ली से निकल दिया था और ये कहा गया जो बह राजा इस शरण देगा उस से में लगातार योध करता रहूँगा श को पुरे भारत में कही भी शरण नहीं मिली अंत में वह रअंतःमबोर आया और हमीर देव ने उसे शरण दी हमीर देव चौचं का पहला धर्म था शरणागत किओ शरण देना और उस की राक्ष्य करना इस लिए हमीर देव चौचं ने मोहमद श को शरण दे दी इस की जानकारी जब अलाउदीन खिलजी को हुई तो उस ने रणथम्बोर पर आक्रमण कर दिया पर वह नहीं जित पाया तब अलाउदीन खिलजी ने सोच को सैनिक बल से बो ररणथम्बोर को नहीं जित पाएगा तो उस ने संधि के लिएए पत्र भेजा हमीर देव को लगा की इस में जलालुदीन खिलजी की कोई चल है तो उन्होंने अपने मंत्री  रणमल, रंतीपाल, और सामंत भोजराज को संधि वार्ता के लिए भेजा गया तब खिलजी ने उन्हें कहा की आआप हमारी रणथम्बोर पर  विजय करवा डिडजिये हम आप को रणथम्बोर का पुर ा राज्य दे देंगे तिनिओ मंत्रियो ने बात मन ली 

युद्ध में जाने से पहले हमीर देव ने अपनी रानियों से कहा की योध भूमि  में केसरिया झंडा फहराए जाए तो जित हो गई और कला झंडा फहरे जाएं पर हार हो गई  हमारी हर हो जाए तो आप जोहर कर लेना युध में राजा हमीर देव की जित हो गई परन्तु रणमल,रंतीपाल, और सामंत भोजराज ने कला झंडा फहरा दिया और किले की और दौड़ना प्रारंभ किया कला झंडा देखने के बाद रानियों ने सोचा की युध में राजा की हर हो गई और उन्होंने ने जोहर कर लिया हमीर देव ने उन का पीछा किया और हटी पोल पर आते - आते हमीर देव ने रणमल का सिर काट दिया रतिपाल और समंत भोजराज ने गणेश पोल को बंद कर दिया जब हमीर देव को गेट बंद मिलता है तो उन्होंने अपने घोड़े को सीधी चटान  पर चढ़ा दिया जहा आज भी घोड़े के पैरे के निश्चान है पर हमीर देव अपनी  रानियों को नहीं बचा सके और रानियों ऐसी हालत देख कर वे  निराश हो गए और उन्होंने भगवन शिव के सामने  अपने सिर काट कर रक् दिया था भगवन शिव उन्हें सबकुछ देने को तैयार हो गए थे परन्तु हमीर बड़ा ही हटी राजा थे उन्होंने इन सब के लिए इंकार कर दिया   

हम्मीर देव चौहान महत्वकांछी साशक थे उन्होंने कुल 17 युद्ध लड़े थे अंतिम युध अलाउद्दीन के साथ लड़ा गया था 


रणथम्बोर किले में देखने योग्य स्थान -
Worth place In Ranthambor Fort -

नौलखा दरवाजा ( प्रवेश द्वार ), हाती पोल, गणेश पोल, सूरज पोल, और त्रिपोलिया ( अँधेरी दरवाजा ), 32 खम्बों की छतरी,हम्मीर महल, रानी महल, हम्मीर की कचहरी, सुपारी महल, बदल महल, जौंरा - भोरा,  रनिहाड़ तालाब, जोगी महल, लछमीनारायण मंदिर, शिव मंदिर, पदमला तालाब, गुप्त गंगा, विश्व प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश मंदिर, पीर सदरुद्दीन की दरगाह, जैन मंदिर आदि प्रमुख स्थान है 







रणथम्बोर किला क्यों प्रसिद्ध है -
Why Is The Ranthambor fort Famous -
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रणथम्बोर किले का खुलने का समय -
Time To Open The Ranthambor Fort -

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रणथम्बोर किला जाने का सब से अच्छा समय -
Best Time To Go Ranthambor Fort -

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रणथम्बोर किले में भोजन -
Food In ranthambor fort -

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रणथम्बोर किले की लोकेशन का मैप -
Location Map Of Ranthambor Fort -




कैसे पहुंचे रणथम्बोर किला -
How To Reach Ranthambor Fort -

  • सड़क मार्ग से यात्रा 
रणथम्बोर किले के नजदीकी बस स्टैंड सवाईमाधोपुर रेलवे स्टेशन है जिस की दुरी रणथम्बोर किले से 14 किलोमीटर है रणथम्बोर किले के लिए यहाँ से कैब, टैक्सी, और जीप से पंहुचा  जा सकता है 

    • रेल मार्ग से यात्रा 
    रणथम्बोर किले के नजदीकी रेलवे स्टेशन सवाईमाधोपुर रेलवे स्टेशन है जिस की दुरी रणथम्बोर किले से 14 किलोमीटर है रणथम्बोर किले के लिए यहाँ से कैब, टैक्सी, और जीप से पंहुचा  जा सकता है 
    • हवाई मार्ग से यात्रा 
    रणथम्बोर किले के नजदीकी रेलवे स्टेशन सवाईमाधोपुर रेलवे स्टेशन है जिस की दुरी रणथम्बोर किले से 145  किलोमीटर है रणथम्बोर किले के लिए यहाँ से कैब, और टैक्सी, से पंहुचा  जा सकता है 


      रणथम्बोर के आस - पास प्रसिद्ध स्थल -

      सवाईमाधोपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल -

      सवाईमाधोपुर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल -




      रणथम्बोर किले की फोटो गैलेरी -
      Ranthambor Fort Photo Gallery -

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      रणथम्बोर का दुर्ग राजस्थान का दूसरा सब से बड़ा दुर्ग है रणथम्बोर का दुर्ग राजा हमीर के नाम से प्रसिद हुआ 

      रणथम्बोर का किला राजा हमीर की आन बान और शान के लिए प्रसिद्ध  है इस किले पर सुल्तान जलालुदीन खिलजी ने हमला किया था पर वह ऐसे नहीं जीत सका फिर अलाउदीन खिलजी ने इस पर हमला किया पर इस दुर्ग को नहीं जीत सका 

      राजा हमीर देव का पहला धरम था शरणागत को शरण देना 

      यह किला सवाई माधोपुर से 10 किलोमीटर दूर अरविली पर्वित शरणक्लीओँ के घिरा हुआ है इस किले में मंदिर मजीत  और जैन मंदिर है  यह किला सात पर्वित श्रेणियों से घिरा हुआ है 

       किले के तीनो तरफ गहरी खाइयाँ है इस दुर्ग को बख्तरबंद दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है  दुर्ग को इस तरह बनाया गया है की यह दूर से यह दिखाई नहीं देता है 



      रणथम्बोर दुर्ग राणा हम्मीर देव चौहान की शौर्य गाथा का साक्षी है इस दुर्ग में नौलखा दरवाजा (प्रवेश द्वार), हाथी पोल (हाथी पोल के पास राजा हमीरदेव ने रणमल का सर काट दिया था ), गणेश पोल (गणेश पोल के पास राजा हमीर देव के घोड़े के पैरो के निशान है ), सूरज पोल और त्रिपोलिया (अँधेरी दरवाजा ) को पार कर के दुर्ग में पंहुचा जाता है दुर्ग परिसर में गुप्तत गंगा, हमीर महल, रानी महल,हमीर की काचहरी, सुपारी महल, बादल महल, 32 खम्बों की छतरी, गंडक की छतरी, जोगी महल पीर सदरुद्दीन की दरगाह जैन मंदिर तथा प्रसिद गणेश मंदिर स्थित है 

      दुर्ग में प्रेवश करते समय बाईं और गो मुख द्वार स्थित  है और नौलखा दरवाजे के पास जोगी महल स्थित है इस दुर्ग में 7 प्रवेश द्वार है चार आगे की और स्थित है और तीन पीछे की और है आगे के तीन दरवाजो में हाथी  पोल के बाद गणेश पोल स्थित है अँधेरी पोल को पार  करने के बाद 32 खम्बो की छतरी स्थित है और आगे  जाने पर एक बड़ा तालाब है जो युध के समय पीने  के पानी के लिए उपयोग में लिया जाता था  त्रिनेत्र  गणेश मंदिर स्थित है गणेश मंदिर के पीछे की और तीन द्वार है वही शिव मंदिर स्थित  है गणेश मंदिर से आगे की और गुप्त गंगा और विशाल शिव मंदिर है राजा हमीर शिव जी के भक्त थे| 











      रणथम्बोर दुर्ग में देखनेयोग्य प्रमुख स्थान 

      • त्रिनेत्र गणेश मंदिर 
      • मजीत 
      • जैन मंदिर 
      • नौलखा दरवाजा 
      • गुप्त गंगा 
      • 32 खम्बो की छतरी

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